Wednesday, February 20, 2008

तुझ संग बीता हर एक पल यद् हें मुझे ,
वो तेरे होठों का पंखुडियों सा खिलना याद हें मुझे,
जो हरदम तुझसे लिपटा होता था,
उस दुपट्टे से जलना याद हें मुझे.....

वो गुलाबों मे तेरा खो जाना,
और भवरों को देख तेरा शर्माना,
शाम के उन हसीन पलों की कहानी,
और तेरे दरस को तरसी आंखे याद हें मुझे......
तेरे चेहरे पे बिखरा वो नूर,
इस जहाँ का नही था शायद,
मेरी हर बात पर एक निराली अदा तेरी,
और फूलों की तरह तेरा मुस्कुराना याद हें मुझे......

यूं कलियों को देख चेह्कना तेरा,
और मुझे देख शर्म से वो सिकुड़ना तेरा,
तेरे गालों पर वो गुलाबी रंगत,
और तेरे लबों से निकले हर शब्द की मिठास याद हें मुझे.....

'दिल'

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